इस साल इस चैत्र से 2 अप्रैल से शुरू हो जाएगा और 11 अप्रैल तक खत्म हो जाएगा। अब चालू होने में कुछ ही बेहतर हैं। ऐसे में एक बार इस दिन की पूजा सूची (नवरात्रि पूजा विधि) भी देखें।
शक्ति मां दुर्गा को पर्व पर्व में पर्व एक पर्व है। इस साल चैत्र नवाराभि 2 अप्राएल से समर्थक होख हैं, जोई 10 अप्रैल को सिस्टम हिंजे। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की अराधना की स्थिति होती है। मां शैलपुत्र के चंद्र ब्रह्माणिणी, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री माता रानी के रूप हैं। माता-पिता की स्थापना के बाद माता-पिता की स्थापना की स्थापना के बाद इसे स्थापित किया जाएगा। जानें नवरात्रि के दिन पहले कैसे जांचें (नवरात्रि पूजा विधि)।
. चकमा देने वाली मिट्टी की एक क्लिक (जौ बोने के लिए)
2. स्वच्छ मिट्टी
3. सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)
4. कलश मिट्टी का और कलश कोने के लिए कवर
5. शुद्ध जल और सा गंगाजल
6. कल के लिए कौशल के लिए कलावा/मौली
7. सुपारी
8. आम आदमी के लिए (पल्लव)
9. अक्षत (कच्चा सरसों)
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11. लाल वस्त्र
12. पुष्पद और पुष्पमाला
13. दूर्वा
14. सिंदूर
15. पान
16. . लोंग
17. इमल्शन
18. आमंत्रित शा
19. मिठाइयां
20. मां दुर्गा की प्रतिमा
सबसे पहले एक वाटर की चौकी को गंगाजल या जल से धोकर लैं।
2. अबो भाषी वस्त्र कलाएं.
3. स्वास्थ्य विभाग
4. मां दुर्गा की फोटो या स्थापना करें।
5. रानी को लाल रंग की चुनने की विधि।
6. धूप-दीपक आदि जलाकर की पूजा करें।
7. दाऊद की अगली कड़ी अखंड ज्योत माता रानी के जलवाँ।
8. देवी माँ को तिलक द्रव्य।
9. माँ दुर्गा को चूड़ी, वस्त्र, सिंदूर, कुमकुम, पुष्प, लहसुन, रोली, सुहाना का संक्रमित करें।
10. माँ दुर्गा को खाने की सामग्री।
11. अब दुर्गा सप्तशती का पाठ माँ के स्तोत्र, सहस्रनाम आदि का पाठ।
12. माँ दुर्गा की आरती।
13. अब वेदी पर प्रश्न पर प्रश्न चिह्न लगते हैं।
14. नवरात्रि के दिन तक दुर्गा की पूजा-चर्चा करें। ज्वा पात्रा।
-नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै’
– सर्वमंगल मुल्ये शिवे सर्वार्थ साधिक।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।
-ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाध्याय नमोस्तुते।।
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्।
वृषारुढां शूलधरं शैलपुत्री यशस्विनीम्॥
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेणथिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पिण्डज प्रवरारुढा चण्डकोपास्त्र कैरुता।
प्रसादं तनुते मह्यम्
स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघण्टा रूपेण प्रतिष्ठाता।
अम्बे गौरी आरती
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मंगल ग्रह।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्म शिव ऋत्व तेर
मुलित सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज से दोउ नाना चंद्रबदन नीको जय॥
कनक जैसा कलेवर रक्त अक्टूबर राजै।
रक्तपुष्प गल मलिक कंठन पर साजै ॥जय॥
केहरी वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवंत तिनके दुख हारी जय॥
कान कुंडल शोभित मोती मोती ।
कोटक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति जय।
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर धाती ।
धूम्र विलोचन नैन निशिदिन मदमती जय॥
मंगल चौंसठ योगिन मंगल गावैं डांस करत भैरू।
बाज़ ताल मृदंगा अरू बाज़त दंम्रू जय॥
बंचारी अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी जय
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बात ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति जय॥
श्री अम्बेजी की आरती जो नहीं नर गावै ।
कहत शिवानंद सुख-सम्पति पावै जय॥